The monogram of Tori Fatehpur State, showcasing the Coats of Arm |
Wall Painting based on Ramayan Bhagwan Shri Ramchandra ji with Mata Sita Ji at Ram Janaki Mandir at Fort Tori Fatehpur |
Wall painting based on war stories at Ram Janaki Mandir Fort Tori Fatehpur |
बुंदेलखंड की अनेक रियासतों में आज भी अनेक महलों में किसी न किसी रूप में चित्रकला के दर्शन होते ही है। उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत जिला झाँसी में, झाँसी खजुराहो मार्ग पर मऊरानीपुर से 30 किलोमीटर पूर्व में टोड़ी फतेहपुर रियासत है , यह किला लगभग 300 वर्ष पुराना और 16 वी शताब्दी का बना है। इस किले को दीवान हिन्दुपथ सिँह जू देव ने बनवाया था।
Interior view of Fort Tori Fatehpur's Rajmandir, showcasing intricate ceiling art, carvings and a sunlit exit through an archway. |
इसी किले के अन्दर राजमंदिर है जो बड़ा ही सुन्दर एवं विशाल रामजानकी का मंदिर है , जिसे दीवान हरप्रसाद ने बनवाया था। वे बड़े ही कलाप्रेमी थे। इस विशाल मंदिर की चित्रकला अत्यंत अच्छी और देश में चित्रकलाओं में अपना नाम रखती है और कारीगरी की कलाओं में उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। उन्होंने इस राज्य के चित्रकूट, अयोध्या, बिठुर, वृन्दावन में मंदिर बनवाये जो आज भी मौजूद है। हनुमानगढ़ी मंदिर (टोड़ी फतेहपुर) में बनवाया जो चित्रकला में सुन्दर है। उन्होंने इस राज्य में और भी मंदिरों का निर्माण करवाया।
Wall painting based on war stories at Ram Janaki Mandir Fort Tori Fatehpur |
इस राजमंदिर की भित्तियों पर बने धार्मिक चित्र बुन्देली चित्रकला के नाम पर उत्कृष्ट उदाहरण एवं एक अमूल्य निधि है। इस मंदिर के ऊपरी खंड में अन्दर की दीवालों एवं छतों पर श्रीमद्भागवत गीता एवं रामायण के उपदेश अंकित है तथा युद्ध कथाओं और नृत्य मुद्राओं तथा राजदरबार, देवी-देवताओं, पौराणिक कथायें, राजपरिवारों के व्यक्ति चित्र, राजा-रानी, बेलबूटे एवं पशु पर आधारित है, लगभग 2500 से अधिक चित्र बने हुए है। इस किले में जितने भी चित्र बने, उनका आधार धार्मिक ही रहा। इन चित्रों के नीचे शीर्षक भी लिखा हुआ है। ये चित्र 17वी- 18वी शताब्दी के प्रारम्भ या मध्य के है।
भित्तिय चित्रों को बनाने की प्रक्रिया सामान्यतया एक सी है। इसके लिए दीवार या छत का वह समतल भाग अधिक उपयुक्त होता है जहाँ रंगों का संयोजन आसानी से हो सके। इसके लिए चूने का प्लास्टर लगाकर धरातल बराबर बनाया जाता है। अधिक चिकनाई लाने के लिए कौड़ीयों, सीप एवं शंख को पीसकर उसके चूरे को फूँककर प्लास्टर बनाकर लगाया गया था जो संगमरमर से भी अधिक आकर्षक है और इस पर अच्छी घुटाई भी की जाती थी। धरातल तैयार कर लेने के पश्चात् चित्रण सम्बन्धी रेखांकन कर लिया जाता था। इसके बाद इसमें अभीष्ट रंग भरे जाते थे। इन चित्रों में अधिकतर प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है जो विभिन्न पदार्थों से प्राप्त होते थे जैसे गेरू, रामरज, सिंदूर, हल्दी, केसर, टेसू के फूल, काजल, कोयला, नील आदि। इसके अलावा नदियों में पाई जाने वाले रंगीन गोल चिकने आकार वाले पत्थर जैसे लाल, हरे, काले आदि रंगों के पत्थरो को तोडकर और बारिक पीसकर रंग बनाकर इसका प्रयोग किया जाता था। इन चित्रों में लाल, काला, एवं कत्थई रंग का प्रयोग भी किया गया है। यह चित्रकारी पुराने समय के कलाकारों द्वारा की गयी थी। आज भी इन चित्रों की चमक वैसी ही है।
Wall painting based on war stories at RajMandir at Fort Tori Fatehpur |
इन चित्रकलाओं को देखने के लिए ही पूर्व में ट्रिनिडाड के भारत में उच्चायुक्त श्री चंद्रदत्त सिंह 8 सितम्बर 1993 में टोड़ी फतेहपुर गए और वहाँ के विशाल किले व भारतीय पुरातत्व की वैभव पूर्ण कला का अवलोकन किया। उच्चायुक्त ने लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व रंगीन भित्ति चित्रों व प्राचीन कला देखकर उसकी प्रशंसा की। आज भी विदेशी पर्यटक इस राजमंदिर की चित्रकारी को देखने आते है।
Wall paintings on ceiling depicting beautiful motifs, peacocks, parrots in Raj Mandir at Tori Fatehpur Fort |
Wall painting depicting Lord Krishna's childhood at Ram Janaki Mandir or RajMandir at Tori Fatehpur Fort |
Wall Painting based on Ramayan - Sita Swayamvar at Mithila depicting Lord Ram breaking the Bow and wedding of Lord Ram with Devi Sita. Ram Janaki Mandir at Tori Fatehpur Fort |
Wall painting based on Ramayan depicting some rituals showing Raja Dasrath with his three Queens along with all the four brothers at Ram Janaki Mandir at Tori Fatehpur Fort |
Wall painting depicting Tori Fatehpur Royal family worshiping at Ram Janaki Mandir at Tori Fatehpur Fort |
Wall painting based on war stories at RajMandir at Fort Tori Fatehpur |
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